8340169808 | [email protected]

Diploma In Basic Computer Course

पेज 1.

बेसिक कंप्यूटर कोर्स में आपको कंप्यूटर की सामान्य जानकारियों के बारे में बताया जाता है, जिसमें कंप्यूटर की बुनियादी जानकारी होती है, जिससे आप सामान्य रूप से कंप्यूटर का परिचय प्राप्त करते हैं और इंटरनेट के बारे में भी जानकारी प्राप्त करते हैं, सबसे पहले कंप्यूटर पर काम करना होता है । 
आज का युग कम्प्यूटर का युग है और हम यदि यह कहे कि कम्प्यूटर के बिना हमारी जिंदगी अधूरी है तो किसी हद तक यह सही ही होगा। आज हर काम कंप्यूटर या टेक्नोलॉजी के जरिए होता है। डिजिटल इंडिया का दौर होने से कंप्यूटर और टेक्नोलॉजी का यूज दिन-ब-दिन बढ़ता ही जा रहा है। हम हमारे चारों ओर देखें तो टेक्नोलॉजी और कंप्यूटर इन दो चीजों का बहुत महत्व है। चाहे फिर स्कूल, कॉलेज में एडमिशन लेना हो, जॉब के लिए हो या कोई ऑनलाइन फॉर्म भरना है सभी में कंप्यूटर की आवश्यकता है। कोरोना वायरस के चलते कंप्यूटर का उपयोग और बढ़ता जा रहा है तथा कंप्यूटर से संबंधित वैकेंसी निकलती जा रही है। इसी को देखते हुए आज यह महत्वपूर्ण ब्लॉग Computer Course in Hindi, कंप्यूटर कोर्स , फ्री कंप्यूटर कोर्स , 12 वीं के बाद कंप्यूटर कोर्स की सूची आपके लिए लाए हैं।टॉप कंप्यूटर कोर्सेजकंप्यूटर के टॉप कोर्सेज की सूची नीचे दी गई है, जिनमें छात्र एडमिशन ले सकते हैं:
  • बेसिक कम्प्यूटर कोर्स (Introduction to Computers – Hindi
  • एक्सेल का बेसिक कोर्स – Microsoft Excel Basic & Advanced Hindi
  • एम एस वर्ड का बेसिक कोर्स – Microsoft Word Basic & Advanced Hindi
  • डीटीपी कोर्स (DTP Course) – Desk Top Publishing Course in Hindi
  • साइबर सुरक्षा और एथिकल हैकिंग कोर्स(Cyber security and Ethical Hacking)
  • प्रोग्रामिंग लैंग्वेज कोर्स – Programming Languages Courses
  • वेब डिजाइनिंग कोर्स – Web Designing Courses
  • एनीमेशन और मल्टीमीडिया कोर्स ANIMATION & MULTIMEDIA Courses
  • कंप्यूटर विज्ञान में डिप्लोमा (Diploma in Computer Science)
  • डाटा एंट्री ऑपरेटर कोर्स (Data entry operator Course )
  • कम्प्यूटरीकृत लेखा कोर्स (COMPUTERIZED ACCOUNTING)
  • कम्प्यूटर एडेड डिजाइन और ड्राइंग कोर्स (CADD (COMPUTER AIDED DESIGN AND DRAWING Course )
  • डिजिटल मार्केटिंग कोर्स (Digital marketing Course)
  • सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन कोर्स – Search engine optimization Course
  • पेज 2.
वेब डिजाइनिंग
वेब डिजाइनिंग में वेब का मतलब होता है वेबसाइट वेब डिजाइनिंग कोर्स में आपको वेबसाइट बनाना, वेबसाइट को मैनेज करना वेबसाइट के लिए डेटाबेस बनाना आदि सिखाया जाता है। वेब डिजाइनिंग का कोर्स करने के बाद आप अच्छी जॉब पा सकते हैं।परंतु उसके लिए आपको अच्छी प्रैक्टिस की आवश्यकता होगी। वेब डिजाइनिंग के दो पार्ट्स होते हैं एक फ्रंटेंड वेब डिजाइनिंग दूसरा बैकऐंड वेब डिजाइनिंग। यह कोर्स कंप्यूटर साइंस में डिप्लोमा करके, बीसीए कोर्स करके, भी करके या बीटेक करके भी कर सकते हैं।इस कोर्स में आप अपनी स्किल्स को जितना बढ़ाएंगे उतना ही अच्छी और ज्यादा सैलरी वाली जॉब मिल पाएगी। वेब डेवलपमेंट का कोर्स करने के लिए आपको Html, Javascript और Css की नॉलेज होना आवश्यक है। यह कोर्स ऑनलाइन भी किया जा सकता है।
      वीएफएक्स एंड एनीमेशन
आजकल कार्टूंस, वीडियो गेम्स, 3D मूवीस आदि का प्रचलन बहुत ज्यादा हो गया है। वीएफएक्स और एनिमेशन का प्रयोग आजकल मूवीस तथा वीडियोस में भी किया जाता है। इसके द्वारा चित्रों को भव्य रुप दिया जाता है। कई टेलीविजन शो में स्टेज परफॉर्मेंस के वक्त भी एनिमेशन का प्रयोग किया जाता है इसके द्वारा परफॉर्मेंस, फिल्म, गानो, कार्टूंस आदि में चार चांद लग जाते हैं। कई मूवीस में इमारतों और लोगों की जगह एनिमेशन का ही प्रयोग किया जाता है और हमें लगता है कि वह रियल है। इस कोर्स को करने के लिए 10th और 12th में 50% से ज्यादा नंबर से उत्तीर्ण होना आवश्यक है तथा इसके लिए एंट्रेंस एग्जाम तथा इंटरव्यू भी लिया जाता है। इस कोर्स को करने के बाद एनिमेटर, आर्ट डायरेक्टर, फिल्म और वीडियो एडिटर तथा 3D एनिमेटर की जॉब कर सकते हैं। यह जॉब आपकी प्रैक्टिस और आपकी स्किल पर डिपेंड होती है। यह ऑनलाइन भी सीखा जा सकता है। 

टैली
टैली का आविष्कार Tally Solutions Pvt. Ltd. द्वारा किया गया था। कई जॉब में टेली का कोर्स अनिवार्य होता है। टेली कोर्स एकाउंटिंग से संबंधित होता है। आजकल कई मॉल, शोरूम्स तथा होटल में पक्का बिल दिया जाता है। यह बिल टैली के सॉफ्टवेयर के द्वारा बनाया जाता है तथा जिसने टैली का कोर्स किया होता है जॉब को करता है। टैली का कोर्स 12 तथा ग्रेजुएशन के बाद भी किया जा सकता है। टैली का कोर्स कंप्यूटर साइंस में डिप्लोमा या डिग्री करके भी किया जा सकता है। इसे सीखने में ज्यादा समय की आवश्यकता नहीं होती कुछ महीनों में ही हम इसे सीख सकते हैं तथा जो लोग ज्यादा फीस नहीं दे सकते तथा उन्हें जॉब करनी होती है वह इस कोर्स को कर सकते हैं क्योंकि इसकी फीस जागता नहीं होती है। टैली सीखाने के कई वीडियोस ऑनलाइन भी उपलब्ध है।तथा ऑनलाइन भी इस कोर्स को सीखा जा सकता है।


    पेज 3.
माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस एंड टाइपिंग कोर्स 
माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस कंप्यूटर का बेसिक होता है। इसमें माइक्रोसॉफ्ट वर्ड, माइक्रोसॉफ्ट ऍक्सेल, माइक्रोसॉफ्ट पावरप्वाइण्ट, माइक्रोसॉफ्ट एक्सेस, माइक्रोसॉफ्ट आउटलुक आदि आते हैं। इसमें डॉक्यूमेंट को आसानी से लिखा जा सकता है इसके साथ-साथ इसमें कई सारे टूल्स होते हैं जिसकी सहायता से डॉक्यूमेंट को एडिट बैकग्राउंड चेंज, पूरी बुक भी टाइप कर सकते हैं। यह कोर्स करने के लिए सिर्फ आपको हिंदी इंग्लिश का सही ज्ञान होना चाहिए। इसे 5th से 12th तक का स्टूडेंट सीख सकता है। तथा इसके बाद भी चाहे वह किसी भी स्ट्रीम से हो यह कोर्स कर सकता है। इसके साथ-साथ हिंदी इंग्लिश की टाइपिंग सीखकर प्राइवेट जॉब कर सकते हैं तथा कई गवर्नमेंट जॉब ऐसी आती है जिनमें टाइपिंग कोर्स अनिवार्य माना जाता है उसके लिए भी आप आवेदन कर सकते हैं।


साइबर सिक्योरिटी कोर्स 
बढ़ते हुए कंप्यूटर का उपयोग तथा टेक्नोलॉजी के बढ़ने के साथ-साथ साइबर क्राइम भी तेजी से बढ़ रहा है। हमारे डाटा को सुरक्षित रखने के लिए साइबर सिक्योरिटी की टीम होती है जो हमारे डाटा को सुरक्षित रखने का काम करती है। साइबर सिक्योरिटी कोर्स यदि हम सर्टिफिकेट के लिए करते हैं तो ट्वेल्थ में गणित केमिस्ट्री फिजिक्स होना आवश्यक है तथा मान्यता प्राप्त बोर्ड से उत्तीर्ण होना चाहिए। परंतु यदि हम साबर सिक्योरिटी कोर्स डिग्री के लिए करते हैं तो हमें इसके लिए प्रवेश परीक्षा देना आवश्यक है। जैसे- जेईईमेन, जेईटी, नीट आदि। साइबर सिक्योरिटी कोर्स में बीए, बीएससी, बीसीए, बीटेक, आईटी आदि डिग्री कोर्स कर सकते हैं।

सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग 
सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग यह एक डिग्री कोर्स होता है। तथा इसके साथ-साथ डिप्लोमा इन कंप्यूटर साइंस में भी यह सब्जेक्ट होता है। सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग से तात्पर्य है कि ऐसे इंजीनियर जो सॉफ्टवेयर को यूजर की जरूरत के अनुसार बनाते हैं तथा विकसित करते हैं सॉफ्टवेयर इंजीनियर कहलाते हैं। तथा सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनने के लिए हमें सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग का कोर्स करना होता है और यदि हम अपनी अच्छी प्रैक्टिस और मेहनत इसमें देते हैं और अपनी स्किल्स को डेवलप कर लेते हैं तो उसमें लाखों रुपए का पैकेज भी मिलता है। सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में सॉफ्टवेयर तथा एप्लीकेशन से जुड़ी छोटी से बड़ी सारी बात सिखाई जाती है। यदि आप भी सॉफ्टवेयर बनाना चाहते हैं,और एक अच्छी नौकरी पाना चाहते हैं तो आपको सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग का कोर्स करना आवश्यक है।

डिप्लोमा इन आईटी एंड कंप्यूटर साइंसडिप्लोमा
 इन आईटी एंड कंप्यूटर साइंस 1 अंडर ग्रेजुएट कोर्स होता है। इस कोर्स को किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड से 10वीं तथा 12वीं के बाद किया जा सकता है। इसके साथ-साथ यदि आपने 12वीं किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड से pcm (फिजिक्स, केमेस्ट्री,मैथ) से की है तो आपको सेकंड ईयर में डायरेक्ट एडमिशन भी मिल सकता है। हालांकि डिप्लोमा कोर्स करने के बाद डिग्री कोर्स कर सकते हैं जिसमें अच्छा पैकेज मिलता है परंतु डिप्लोमा इन कंप्यूटर साइंस एंड आईटी करने के बाद भी अच्छी जॉब लग सकती है। डिप्लोमा इन कंप्यूटर साइंस में हर वर्ष में 10-10 सब्जेक्ट होते हैं। जीने का ढंग से पढ़ लिया जाए तथा कोडिंग में अपनी पकड़ बना ली जाए तो अच्छी जॉब पा सकते हैं। डिप्लोमा इन कंप्यूटर साइंस एंड आईटी में आयु की कोई सीमा नहीं होती।आप कभी भी यह कोर्स कर सकते हैं।


    पेज 4.
हार्डवेयर मेंटेनेंस
Computer Course in Hindi के अभी तक के ब्लॉग में आपने देखा कि कंप्यूटर का उपयोग कितना बढ़ता जा रहा है। कंप्यूटर भी क्योंकि एक मशीन है तो मशीन को भी मेंटेनेंस की जरूरत होती है क्योंकि हम अपना काम तो कर लेते हैं लेकिन कंप्यूटर को सही तरीके से मेंटेन नहीं कर पाते हैं इसलिए हार्डवेयर मेंटेनेंस एक कोर्स होता है जिसमें कंप्यूटर या कंप्यूटर से संबंधित सभी हार्डवेयर को सुरक्षित रखना तथा देखरेख रखना और उससे जुड़ी सभी चीजें सिखाई जाती है। कई सरकारी विभागों तथा निजी विभागों में हार्डवेयर टेक्नीशियन की जरूरत होती है जो हार्डवेयर को मेंटेन तथा कई कंप्यूटर्स को जोड़ने का काम करता है।इस कोर्स को 10वीं 12वीं के बाद भी किया जा सकता है।
डिजिटल मार्केटिंग कोर्स
आज का दौर डिजिटल इंडिया का दौर हो गया है आजकल सभी ऑफलाइन के बजाय ऑनलाइन चीजें खरीदने और पढ़ने के शौकीन होते हैं तथा यह बहुत आसान भी होता है। इसी के साथ साथ डिजिटल मार्केटर की जरूरत भी बहुत बढ़ गई है।डिजिटल मार्केटर बनने के लिए हमें डिजिटल मार्केटिंग कोर्स करना आवश्यक है। डिजिटल मार्केटिंग कोर्स करने के बाद हम निजी या स्वयं भी एडवरटाइजिंग, यूट्यूब तथा अन्य के जरिए पैसे कमा सकते हैं। डिजिटल मार्केटिंग कोर्स में कई कोर्स शामिल है जैसे सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन, डिस्पले एडवरटाइजिंग, सर्च इंजन मार्केटिंग तथा सोशल मीडिया मार्केटिंग आदि। इस कोर्स को करके हम घर बैठे भी पैसे कमा सकते हैं परंतु उसमें स्किल्स और मेहनत की आवश्यकता होगी। यह सर्टिफिकेट कोर्स भी है हम 3 से 6 महीने का कोर्स करके भी डिजिटल मार्केटिंग का सर्टिफिकेट प्राप्त कर सकते हैं। या कोर्स ऑनलाइन भी किया जा सकता है।
कंप्यूटर नेटवर्किंग
नेटवर्किंग से आशय है कि एक कंप्यूटर से दूसरे कंप्यूटर में डाटा को भेजना। आजकल ऑनलाइन ट्रांजैक्शन का जमाना है तथा हम ऑनलाइन कई एप्स के जरिए डाटा को भेजते हैं। तो उस डाटा को सुरक्षित रखने और सुरक्षित रूप से भेजने के लिए कई विभागों में कंप्यूटर नेटवर्किंग का कोर्स किए हुए उम्मीदवार की आवश्यकता होती है।कम्प्यूटर नेटवर्किंग का कोर्स करने के बाद नेटवर्क इंजीनियर, नेटवर्क सिक्योरिटी एक्सपर्ट, नेटवर्क एडमिनिस्ट्रेटर, डेस्कटॉप सपोर्ट इंजीनियर, टीम लीडर टेक्निकल हेड, टेक्निकल सपोर्ट इंजीनियर, सिस्टम एनालाइजर आदि बन सकते हैं। कंप्यूटर नेटवर्किंग का कोर्स 12वीं के बाद भी कर सकते हैं।


    पेज 5.
      फोटो शॉप 

फोटो शॉप अडोब कंपनी द्वारा शुरू किया गया फोटो एडिटर सॉफ्टवेयर है। सोशल मीडिया, मूवीस तथा बढ़ते हुए चित्र के प्रयोग से चित्रों को एडिट करना ब्राइटनेस चेंज करना क्रॉप करना तथा फोटोशॉप टूल का उपयोग करके अलग-अलग तरह से चित्र को एडिट करना आदि सब फोटोशॉप के अंदर ही आता है। यह कोर्स 12वीं के बाद किया जा सकता है। यदि आपको एडिटिंग करना अच्छा लगता है और आप इसी में अपना करियर बनाना चाहते हैं तो यह आपके लिए बहुत अच्छा कंप्यूटर कोर्स है।यह कोर्स कई इंस्टिट्यूट द्वारा ऑनलाइन भी सिखाया जाता है।

बीटेक (B.tech)

बीटेक को बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग भी कहा जाता है। यह कोर्स एक डिग्री कोर्स होता है। इस कोर्स में वह स्टूडेंट एडमिशन ले सकते हैं जिन्होंने किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड से 12वीं कक्षा गणित विषय के साथ 60% के साथ उत्तीर्ण की हो। बारहवीं कक्षा के बाद एडमिशन लेने पर यह कोर्स 4 साल का होता है। तथा यदि कंप्यूटर साइंस से डिप्लोमा करके इसमें एडमिशन लेते हैं तो यह 3 साल का होता है। क्योंकि यहां एक डिग्री कोर्स है इसलिए इसमें सरकारी तथा निजी दोनों क्षेत्रों में बड़े-बड़े पैकेज के साथ जॉब मिल सकती है।

बीसीए (BCA

बीसीए का पूरा नाम बैचलर ऑफ कंप्यूटर एप्लीकेशन है। बीसीए का कोर्स 3 साल का होता है। इस कोर्स में वेब डिजाइनिंग, एप्लीकेशन डेवलपमेंट, प्रोग्रामिंग लैंग्वेज तथा बेसिक सिखाया जाता है।इस कोर्स को 12वीं के बाद किया जा सकता है। इसके लिए 12वीं 45% तथा अंग्रेजी में 50% से ज्यादा अंक होने चाहिए। इस कोर्स को करने के बाद जॉब लग सकती है।

कंप्यूटर साइंस में बी.ए.

क्या आपको पहले से पता था कि कंप्यूटर साइंस में बीए हो सकती है। यदि नहीं पता था तो अब जान लीजिए की कंप्यूटर साइंस में भी B.A हो सकती है। यह 3 साल का स्नातक कोर्स होता है। यह कोर्स कंप्यूटर की गणितीय तथा theoretical फाउंडेशन पर जोर देता है। क्योंकि यह एक ग्रेजुएशन कोर्स है इसलिए यह 12वीं कक्षा के बाद किया जा सकता है।


    पेज 6.

कंप्यूटर साइंस में बीएससी

कंप्यूटर साइंस से बीएससी तथा कंप्यूटर साइंस में बी.ए एक तरह से दोनों ही स्नातक कोर्स है परंतु कंप्यूटर साइंस से बीएससी करने के लिए 12वीं कक्षा में PCM (फिजिक्स केमेस्ट्री मैथ्स) 50% परसेंट उत्तीर्ण इन होना आवश्यक है। यह 3 साल का कोर्स होता है। Computer Course in Hindi के इस ब्लॉग में जानते है कुछ अन्य कोर्स के बारे में।

ग्राफिक डिजाइनिंग

ग्राफिक डिजाइनिंग कोर्स अपनी कला को प्रदर्शित करने का एक माध्यम है। यह कोर्स आपकी क्रिएटिविटी को बताता है। ग्राफिक डिजाइनिंग कोर्स में टेक्स्ट और ग्राफिक की मदद से टेक्स्ट और इमेज को क्रिएटिव और यूनिक बनाया जाता है। ग्राफिक डिजाइनिंग सीखना उतना मुश्किल नहीं होता बस यह आपकी क्रिएटिविटी पर डिपेंड करता है। ग्राफिक डिजाइनिंग कोर्स करने के बाद कई कंपनी,न्यूज़ चैनल, एडवरटाइजिंग आदि में आपकी जरूरत होती है। ग्राफिक डिजाइनिंग में ब्रोशर, लोगो, न्यूज़लेटर,पोस्टर विभिन्न सॉफ्टवेयर की मदद से बनाए जाते हैं। इसमें आप अपना करियर बना सकते हैं।इसे ऑनलाइन भी सीखा जा सकता है यह उतना मुश्किल नहीं होता है।


एंड्रॉयड एप डेवलपमेंट

आज की दुनिया में हर व्यक्ति के पास एंड्राइड होता है तथा वह रोज एक नए ऐप का इस्तेमाल करता है। इसी को देखते हुए आज की दुनिया में एंड्रॉयड एप डेवलपमेंट एक बेहतर करियर विकल्प आपके लिए हो सकता है। इसमें आप करियर बना सकते हैं। एंड्रॉयड एप डेवलपमेंट का कोर्स करने के बाद छोटी से बड़ी अनेक जॉब्स आपके लिए होती है। यह कोर्स अभी बहुत प्रचलन में है। इस कोर्स को करने के लिए 12वीं कक्षा में फिजिक्स केमिस्ट्री मैथ होना चाहिए तथा आपको प्रोग्रामिंग लैंग्वेज तथा कंप्यूटर के बेसिक की अच्छी समझ होनी चाहिए।प्रोग्रामिंग लैंग्वेज सीखने के लिए आप ऊपर बताए गए बीटेक, डिप्लोमा इन कंप्यूटर साइंस आदि कोर्स कर सकते हैं। इस कोर्स को कई इंस्टीट्यूट द्वारा ऑनलाइन भी कराया जाता है।

    पेज 7.

कम्प्यूटर बेसिक ज्ञान Basic Computer Gyan in Hindi

कम्प्यूटर बेसिक ज्ञान (Basic Computer Gyan in Hindi) आज के समय में बहुत जरूरी है, इस पोस्‍ट में हम आपके लिये बहुत ही महत्‍वपूर्ण जानकारी लेकर आये हैं कंप्‍यूटर के बारे में यहां आपको कम्प्यूटर(Computer) क्या है ? Personal Computer क्या है ? सॉफ्टवेयर(Software) क्या है ? Application Software क्या है ? जैसे कई Basic Computer knowledge मिलने वाली है यह जानकारी आपके बहुत काम आयेगी और कम्प्यूटर बेसिक ज्ञान - Basic Computer Gyan in Hindi


कंप्यूटर का परिचय (Introduction of computer)

कंप्यूटर शब्द अंग्रेजी के "Compute" शब्द से बना है, जिसका अर्थ है "गणना", करना होता है इसीलिए इसे गणक या संगणक भी कहा जाता है, इसका अविष्‍कार Calculation करने के लिये हुआ था, पुराने समय में Computer का use केवल Calculation करने के लिये किया जाता था किन्‍तु आजकल इसका use डाक्‍यूमेन्‍ट बनाने, E-mail, listening and viewing audio and video, play games, database preparation के साथ-साथ और कई कामों में किया जा रहा है, जैसे बैकों में, शैक्षणिक संस्‍थानों में, कार्यालयों में, घरों में, दुकानों में, Computer का उपयोग बहुतायत रूप से किया जा रहा है

कंप्‍यूटर को ठीक प्रकार से कार्य करने के लिये सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर दोनों की आवश्‍यकता होती है। अगर सीधी भाषा में कहा जाये तो यह दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। बिना हार्डवेयर सॉफ्टवेयर बेकार है और बिना सॉफ्टवेयर हार्डवेयर बेकार है। मतलब कंप्‍यूटर सॉफ्टवेयर से हार्डवेयर कमांड दी जाती है किसी हार्डवेयर को कैसे कार्य करना है उसकी जानकारी सॉफ्टवेयर के अन्दर पहले से ही डाली गयी होती है। कंप्यूटर के सीपीयू से कई प्रकार के हार्डवेयर जुडे रहते हैं, इन सब के बीच तालमेल बनाकर कंप्यूटर को ठीक प्रकार से चलाने का काम करता है सिस्टम सॉफ्टवेयर यानि ऑपरेटिंग सिस्टम।

कम्प्यूटर का जनक कौन है
कम्प्यूटर का जनक चार्ल्स बैबेज (Charles Babbage) को कहा जाता है, चार्ल्स बैबेज जन्म लंदन में हुआ था वहां की आधिकारिक भाषा अंग्रेजी है तो अंग्रेजी से ही कोई शब्द क्यों नहीं लिया गया इसकी वजह यह है कि जो अंग्रेजी भाषा है उसके तकनीकी शब्द खासतौर पर प्राचीन ग्रीक भाषा और लैटिन भाषा पर आधारित है इसलिए कंप्यूटर शब्द के लिए यानी एक ऐसी मशीन के लिए जो गणना करती है उसके लिए लैटिन भाषा के शब्द कंप्यूट (Comput) को लिया गया

    पेज 8.

कंप्यूटर का फुल फॉर्म हिंदी में (Full form of computer in Hindi)
  • सी - आम तौर पर
  • ओ - संचालित
  • एम - मशीन
  • पी- विशेष रूप से
  • यू- प्रयुक्त
  • टी - तकनीकी
  • ई - शैक्षणिक
  • आर - अनुसंधान

  • Commonly Operated Machine Particularly Used in Technical and Educational Research
    • C - Commonly
    • O - Operated
    • M - Machine
    • P- Particularly
    • U- Used
    • T - Technical
    • E - Educational
    • R - Research

कंप्यूटर एक ऐसी मशीन है जिसका प्रयोग आमतौर पर तकनीकी और शैक्षणिक अनुसंधान के लिए किया जाता है

कंप्यूटर के भागों का नाम – Computer parts Name in Hindi
  • प्रोसेसर – Micro Processor.
  • मदर बोर्ड – Mother Board.
  • मेमोरी – Memory.
  • हार्ड डिस्क – Hard Disk Drive.
  • मॉडेम – Modem.
  • साउंड कार्ड – Sound Card.
  • मॉनिटर – Monitor.
  • की-बोर्ड माउस – Keyboard/Mouse.

Computer मूलत दो भागों में बॅटा होता है-
  • सॉफ्टवेयर
  • हार्डवेयर

    पेज 9.

कम्प्यूटर का बेसिक ज्ञान - Basic Computer Gyan in Hindi


कंप्यूटर का इतिहास (History of Computer)

आज आप कंप्यूटर पर इंटरनेट चलाते हैँ, गेम खेलते है, वीडियो देखते हैं, गाने सुनते हैँ और इसके अलावा ढेर सारे ऑफिस से संबंधित काम करते हैं आज कंप्यूटर का उपयोग दुनिया के हर क्षेत्र मेँ किया जा रहा है चाहे वो शिक्षा जगत हो, फिल्म जगत हो या आपका ऑफिस हो। कोई भी जगह कंप्यूटर के बिना अधूरी है आज आप कंप्यूटर की सहायता से इंटरनेट पर दुनिया के किसी भी शहर की कोई भी जानकारी सेकेण्‍डों मे प्राप्त कर सकते हैँ ये किसी दूसरे देश मेँ बैठे अपने मित्रोँ और रिश्तेदारोँ से इंटरनेट के माध्यम लाइव वीडियो कॉंफ्रेंसिंग कर सकते हैँ यह सब संभव हुआ है कंप्यूटर की वजह से। सोचिए अगर कंप्यूटर ना होता तो आज की दुनिया कैसी दिखाई देती।

कंप्यूटर शुरुआत कहाँ से हुई ओर क्यूँ हुई ? क्या वाकई मेँ कंप्यूटर इन सभी कामाें को करने के लिये बना था या इसका आविष्कार किसी और वजह से हुआ था मानव के लिए गणना करना शुरु से ही कठिन रहा है मनुष्य बिना किसी मशीन के एक सीमित स्तर तक ही गणना या केलकुलेशन कर सकता है ज्यादा बडी कैलकुलेशन करने के लिए मनुष्य को मशीन पर ही निर्भर रहना पड़ता है इसी जरुरत को पूरा करने के लिए मनुष्य ने कंप्यूटर का निर्माण किया, यानी गणना करने के लिए।

अबेकस - 3000 वर्ष पूर्व
अबेकस का निर्माण लगभग 3000 वर्ष पूर्व चीन के वैज्ञानिकोँ ने किया था। एक आयताकार फ्रेम में लोहे की छड़ोँ में लकडी की गोलियाँ लगी रहती थी जिनको ऊपर नीचे करके गणना या केलकुलेशन की जाती थी। यानी यह बिना बिजली के चलने वाला पहला कंप्यूटर था वास्तव मेँ यह काम करने के लिए आपके हाथो पर ही निर्भर था।

एंटीकाईथेरा तंत्र - 2000 वर्ष पूर्व
Antikythera असल में एक खगोलीय कैलकुलेटर था जिसका प्रयोग प्राचीन यूनान में सौर और चंद्र ग्रहणों को ट्रैक करने के लिए किया जाता था, एंटीकाईथेरा यंञ लगभग 2000 साल पुराना है, वैज्ञानिको को यह यंञ 1901 में एंटीकाइथेरा द्वीप पर पूरी तरह से नष्‍ट हो चुके जहाज से जीर्ण-क्षीर्ण अवस्था में प्राप्‍त हुआ था, इसी कारण इसका नाम एंटीकाईथेरा सिस्‍टम पडा तभी से वैज्ञानिक इसे डिकोड करने में लगे थे और लंबे अध्ययन के बाद अब इस कंप्यूटर को डिकोड कर लिया गया है। यह मशीन ग्रहों के साथ ही आकाश में सूर्य और चांद की स्थिति दिखाने का काम करती है। एंटीकाईथेरा तंत्र ने आधुनिक युग का पहला ज्ञात एनलोग कंप्यूटर होने का श्रेय प्राप्त कर लिया, यूनानी ने एंटीकाईथेरा सिस्टम को खगोलीय और गणितीय आकड़ो का सही अनुमान लगाने के लिए विकसित किया गया था

पास्‍कलाइन (Pascaline) - सन् 1642
अबेकस के बाद निर्माण हुआ पास्‍कलाइन का। इसे गणित के विशेषज्ञ ब्लेज पास्कल ने सन् 1642 में बनाया यह अबेकस से अधिक गति से गणना करता था। ये पहला मैकेनिकल कैलकुलेटर था। इसे मशीन को एंडिंग मशीन (Adding Machine) कहा जाता था, Blase Pascal की इस Adding Machine को Pascaline भी कहते हैं

डिफरेंज इंजन (Difference Engine) - सन् 1822
डिफरेंस इंजन सर चार्ल्स बैबेज द्वारा बनाया ऐसा यंत्र था जो सटीक तरीके से गणनायें कर सकता था, इसका आविष्कार सन 1822 में किया गया था, इसमें प्रोग्राम स्टोरेज के लिए के पंच कार्ड का इस्‍तेमाल किया जाता था। यह भाप से चलता था, इसके आधार ही आज के कंप्यूटर बनाये जा रहे हैं इसलिए चार्ल्स बैवेज को कंप्यूटर का जनक कहते हैँ।

जुसे जेड - 3 - सन् 1941
महान वैज्ञानिक "कोनार्ड जुसे" नें "Zuse-Z3" नमक एक अदभुत यंत्र का आविष्कार किया जो कि द्वि-आधारी अंकगणित की गणनाओ (Binary Arithmetic) को एवं चल बिन्दु अंकगणित गणनाओ (Floating point Arithmetic) पर आधारित सर्वप्रथम Electronic Computer था।

अनिएक - सन् 1946
अमेरिका की एक Military Research room ने "ENIAC" मशीन जिसका अर्थ (Electronic Numerical Integrator And Computer) का निर्माण किया। "ENIAC" दशमलव अंकगणितीय प्रणाली (Decimal Arithmetic system ) पर कार्य करता था, बाद मेें "ENIAC" सर्वप्रथम कंप्यूटर के रूप में प्रसिद्ध हुई जो कि आगे चलकर आधुनिक कंप्यूटर के रूप में विकसित हुई
मैनचेस्टर स्‍माल स्‍केल मशीन (SSEM) - सन् 1948

(SSEM) पहला ऐसा कंंम्‍यूटर था जो किसी भी प्राेग्राम को वैक्यूम ट्यूब (Vacume Tube) में सुरक्षित रख सकता था, इसका निक नेम Baby रखा गया था, इसे बनाया था फ्रेडरिक विलियम्स और टॉम किलबर्न ने!

    पेज 10.
कंप्यूटर की पहली विशेषता गति (Speed)


 
जहां एक आपको एक छोटी सी Calculation करने में समय लगता है वहीं Computer बडी से बडी Calculation सेेकेण्‍ड से भी कम समय में कर लेता है, यह गति उसे प्रोससर से प्रदान होती है कंप्‍यूटर की गति को हर्ट्ज में मापा जाता है, कंप्यूटर के कार्य करने की तीव्रता प्रति सेकंड्स, प्रति मिलिसेकंड्स, प्रतिमाइक्रो सेकंड्स, प्रति नेनोसेकंड्स ईत्यादी में आंकी जाती है !

कंप्यूटर की दूसरी विशेषता सटीकता (Accuracy)
त्रुटि रहित कार्य करना यानि पूरी सटीकता (Accuracy) के साथ किसी भ्‍ाी काम का पूरा करना कंप्यूटर की दूसरी विशेषता है, कंप्‍यूटर द्वारा कभी कोई गलती नहीं की जाती है, कंप्‍यूटर हमेशा सही परिणाम देता है, क्योंकि कंप्यूटर तो हमारे द्वारा बनाये गए प्रोग्राम द्वारा निर्दिष्ट निर्देश का पालन करके ही किसी कार्य को अंजाम देता है, कंप्यूटर द्वारा दिया गया परिणाम गलत दिया जा रहा है तो उसके प्रोग्राम में कोई गलती हो सकती है जो मानव द्वारा तैयार किये जाते हैं !

कंप्यूटर की तीसरी विशेषता स्वचलित (Automation)
कंप्‍यूटर को एक बाद निर्देश देने पर जब तक कि कार्य पूरा नहीं हो जाता है वह स्वचलित (Automation) रूप से बिना रूके कार्य करता रहता है उदाहरण के लिये जब Computer से Printer को 100 पेज प्रिंट करने की कंमाड दें तो पूरे 100 पेज प्रिंट करने बाद ही रूकेगा, इन सभ्‍ाी कार्यो को करने के लिये कंप्‍यूटर को निर्देश मिलते हैं वह उन्‍हीं के आधार पर उनको पूरा करता है यह निर्देश कंप्‍यूटर को प्रोग्राम/सॉफ्टवेयर के द्वारा मिलते हैं हर काम काे करने के लिये अगल प्रोग्राम/सॉफ्टवेयर होता है !

कंप्यूटर की चौथी विशेषता स्थायी भंडारण क्षमता (permanent Storage)
कम्प्यूटर में प्रयुक्त मेमोरी को डाटा, सूचना और निर्देशों के स्थायी भंडारण के लिए प्रयोग किया जाता है। चूंकि कम्प्यूटर में सूचनाएं इलेक्ट्राॅनिक तरीके से संग्रहित की जाती है, अतः सूचना के समाप्त होने की संभावना कम रहती है।

कंप्यूटर की पांंचवीं विशेषता विशाल भंडारण क्षमता (Large Storage Capacity)
कम्प्यूटर के बाह्य (external) तथा आंतरिक (internal) संग्रहण माध्यमों (हार्ड डिस्क, फ्लॉपी डिस्क, मैग्नेटिक टेप,सीडी राॅम) में असीमित डाटा और सूचनाओं का संग्रहण किया जा सकता है । कम्प्यूटर में कम स्थान घेरती सूचनाओं का संग्रहण किया जा सकता है। अतः इसकी भंडारण क्षमता विशाल और असीमित है।
कंप्यूटर की छटवीं विशेषता भंडारित सूचना को तीव्रगति से प्राप्त करना (Fast Retrieval)कम्प्यूटर प्रयोग द्वारा कुछ ही सेकेण्ड में भंडारित सूचना में से आवश्यक सूचना को प्राप्त किया जा सकता है। रेम (RAM- Random Access Memory) के प्रयोग से वह काम और भी सरल हो गया है।
कंप्यूटर की सातवीं विशेषता जल्द निर्णय लेने की क्षमता (Quick Decision)
कम्प्यूटर परिस्थितियों का विश्लेषण पूर्व में दिए गए निर्देशों के आधार पर तीव्र निर्णय की क्षमता से करता है।

कंप्यूटर की आठंवी विशेषता विविधता (Versatility)
कम्प्यूटर की सहायता से विभिन्न प्रकार के कार्य संपन्न किये जा सकते हैं। आधुनिक कम्प्यूटरों में अलग-अलग तरह के कार्य एक साथ करने की क्षमता है।

कंप्यूटर की नवीं विशेषता पुनरावृति (Repetition)
कम्प्यूटर आदेश देकर एक ही तरह के कार्य बार-बार विश्वसनीयता और तीव्रता से कराये जा सकते हैं।

कंप्यूटर की दसवीं विशेषता स्फूर्ति (Agility)
कम्प्यूटर को एक मशीन होने के कारण मानवीय दोषों से रहित है। इसे थकान तथा बोरियत महसूस नहीं होती है और हर बार समान क्षमता से कार्य करता है।

कंप्यूटर की ग्‍यारहवीं विशेषता गोपनीयता (Secrecy)
पासवर्ड के प्रयोग द्वारा कम्प्यूटर के कार्य को गोपनीय बनाया जा सकता है। पासवर्ड के प्रयोग से कम्प्यूटर में रखे डाटा और कार्यक्रमों को केवल पासवर्ड जानने वाला व्यक्ति ही देख या बदल सकता है। 


कंप्यूटर की बारहवीं विशेषता कार्य की एकरूपता (Uniformity of work) 
बार-बार तथा लगातार एक ही कार्य करने के बावजूद कम्प्यूटर के कार्य की गुणवत्ता पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

    पेज 11.

कंप्यूटर की विशेषताएं तो आप जान ही चुके हैं, कंप्‍यूटर आपके बहुत सारे कामों को करता है लेकिन कंप्यूटर की कुछ सीमाएं भी होती हैं जिसने बाहर कंप्‍यूटर कार्य नहीं कर सकता है आईये जानते हैैं कंप्यूटर की सीमाएं क्या है - कंप्यूटर की सीमाएं - Limitations of Computer in Hindi 


कंप्यूटर की सीमाएं - Limitations of Computer in Hindi
  • बुद्धिमता की कमी (Lack of Intelligence) - कम्प्यूटर एक मशीन है । उसमें मनुष्‍‍‍य के समान बुद्धिमता (Intelligence) नहीं है यह केवल यूजर द्वारा दिये गये निर्देशों का पालन करता हैं, किसी भी स्थिति में कंप्‍यूटर न तो दिये गये निर्देशों से कम काम करता है

  • सामान्य बोध की कमी (Lack of Common Scene) - यह भी जानना जरूरी है कि कंप्‍यूटर कभी कोई गलती नहीं करता है, लेकिन अगर यूजर उससे गलत काम लेता है तो उसे इसका सामान्य बोध यानि Common Scene नहीं हाेता है अगर आपने कंप्‍यूटर को बताया नहीं है "सीमा एक लडकी है" तो वह उसे by default लडका ही मानेगा, उसे नाम में फर्क करना नहीं आता है, Computer एक बुद्धिमान मशीन नहीं है यह सही या गलत कि पहचान नहीं कर पाती है|

  • विद्युत पर निर्भरता (Dependence on electricity) - कंप्‍यूटर को काम करने के लिये विद्युत ( electricity) की आवश्‍यकता होती है बिना विद्युत ( electricity) केे कंप्‍यूटर एक धातु के डब्‍बे से ज्‍यादा और कुुछ नहीं है

  • अपग्रेड और अपडेट (Upgrade and Update) - कम्प्यूटर एक ऐसी मशीन है जिसे समय समय पर अपग्रेड और अपडेट (Upgrade and Update) करना होता है यदि ऐसा नहीं किया तो कंप्‍यूटर ठीक प्रकार से कार्य नहीं कर पाता है

  • वायरस से खतरा (Virus threat) - कंप्‍यूटर को हमेशा वायरस का खतरा बना रहता है, एक बार वायरस आने पर यह कंप्‍यूटर ऑपरेटिंग सिस्‍टम के साथ उसमें सुरक्षित फाइलों को भी नुकसान पहॅुचा सकता है

Tag - What are limitations of computers, limitations of computer, limitations of computer, limitations of computer in points, capabilities and limitations of computer, uses and limitations of computers, limitation of computer in hindi, Limitations of a Computer System

    पेज 12.

कंप्‍यूटर की संरचना (Computer Architecture in Hindi)

कंप्‍यूटर (Computer) को पीढी के अनुसार, कार्य के अनुसार और आकार के अनुसार कई भागों में बांटा गया है लेकिन शुरूआत से अब तक कंप्‍यूटर की संरचना (Computer Architecture) में कोई बदलाव नहीं आया है, तो आईये जानते हैं कंप्‍यूटर की संरचना (Computer Architecture in Hindi)



कंप्‍यूटर की संरचना (Computer Architecture in Hindi)
1- इनपुट यूनिट (Input unit)
इनपुट यूनिट (Input unit) कंप्यूटर के वह भाग हार्डवेयर होते हैं जिनके माध्‍यम से कंप्‍यूटर में कोई डाटा एंटर किया जा सकता है इनपुट के लिये अाप की-बोर्ड, माउस इत्‍यादि इनपुट डिवाइस का प्रयोग करते हैं साथ ही कंप्‍यूटर को सॉफ्टवेयर के माध्‍यम से कंमाड या निर्देश देते हैं यह i/o devices कहलाती है!

2- सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (Central processing unit)
सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (Central processing unit) इनपुट डाटा को प्रोसेस करता है इसके लिये सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट और अर्थमेटिक लॉजिक यूनिट दोनों मिलकर अंकगणितीय गणना (Arithmetic Calculation) और तार्किक गणना करते हैैं और डाटा को प्रोसेस करते हैं CPU को कंप्यूटर का मस्तिष्क कहा जाता है!

3- मेमोरी (Memory)
मेमोरी कंप्यूटर का वह भाग है यूजर द्वारा इनपुट किये डाटा और प्रोसेस डाटा को संगृहीत करती है, यह प्राथमिक और द्वितीय दो प्रकार की हाेती है उदाहरण के लिये रैम और हार्ड डिस्‍क


4- आउटपुट यूनिट (Output unit)
आपके द्वारा दी गयी कंमाड के अाधार पर प्रोसेस की गयी जानकारी का आउटपुट कंप्‍यूटर द्वारा आपको दिया जाता है जो आपको आउटपुट डिवाइस या आउटपुट यूनिट द्वारा प्राप्‍त हो जाता है आउट डिवाइस का सबसे बेहतर उदाहरण आपका कंप्‍यूटर मॉनिटर है यह i/o devices कहलाती है !

    पेज 13.

कंप्यूटर की हार्डवेयर संरचना (Computer hardware structure)

कम्प्यूटर के निम्‍न महत्वपूर्ण भाग होते है:-

• मोनीटर या एल.सी.डी.
• की-बोर्ड
• माऊस
• सी.पी.यू.
• यू.पी.एस


मोनीटर या एल सी डी :- इसका प्रोयोग कम्प्यूटर के सभी प्रेाग्राम्स का डिस्‍प्ले दिखाता है। यह एक आउटपुट डिवाइस है।




की-बोर्ड :- इसका प्रयोग कम्प्यूटर मे टाइपिंग लिए किया जाता है, यह एक इनपुट डिवाइस है हम केवल की-बोर्ड के माध्यम से भी कम्‍प्‍यूटर को आपरेट कर सकते है।




माऊस :- माऊस कम्प्यूटर के प्रयोग को सरल बनाता है यह एक तरीके से रिमोट डिवाइस होती है और साथ ही इनपुट डिवाइस होती है।



सी. पी. यू.(सेन्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट):- यह कम्प्यूटर का महत्वपूर्ण भाग होता है हमारा सारा डाटा सेव रहता है कम्प्यूटर के सभी भाग सी. पी. यू. से जुडे रहते है। सीपीयू के अन्‍दरूनी भागों के बारे में जानें क्लिक करें।




यू.पी.एस.(अनिट्रप पावर सप्लार्इ):- यह हार्डवेअर या मशीन कम्प्यूटर बिजली जाने पर सीधे बन्द होने से रोकती है जिससे हमारा सारा डाटा सुरक्षित रहता है।




यह सारे हार्डवेयर दो भागों में बॅटे रहता है-

  • आउटपुट डिवाइस
  • इनपुट डिवाइस

    पेज 14.

कंप्यूटर मेमोरी क्या है - What is Computer Memory in Hindi

कंप्यूटर मेमोरी (Computer Memory) कंप्‍यूटर की संरचना के अनुसार कंप्यूटर का वह भाग है यूजर द्वारा इनपुट किये डाटा और प्रोसेस डाटा को स्‍टोर करती है, मेमोरी (Memory) कम्प्यूटर का बुनियादी घटक है आईये जानते हैं कंप्यूटर मेमोरी क्या है - What is Computer Memory in Hind



कंप्यूटर मेमोरी क्या है - What is Computer Memory in Hindi
वैसे तो CPU को कंप्यूटर का मस्तिष्क कहा जाता है, लेकिन जहां मनुष्‍य का मस्तिष्‍क बहुत सारे काम करने के साथ-साथ हमारी यादों को भी सुरक्षित रखने का काम करता है वहीं सीपीयू (CPU) केवल अंकगणितीय गणना (Arithmetic Calculation) और तार्किक गणना कर इनपुट डाटा को प्रोसेस करता है, प्रोसेस डाटा को सुरक्षित नहीं रख सकता है, अब उस प्रोसेस डाटा को कहीं सुरि‍क्षित भी रखना होता है, तो इस कार्य जिम्‍मा कंप्यूटर मेमोरी (Computer Memory) के पास होता है, कंप्यूटर मेमोरी को बहुत सारे छोटे भागों में बाँटा गया है, जिन्हें हम सेल कहते हैं। प्रत्येक सेल का यूनिक एड्रेस या पाथ होता है। आप जब भी कोई फाइल कंप्‍यूटर में सुरक्षित या सेव करते हैं तो वह एक सेल में सेव होती है-

कंप्यूटर मेमोरी दो प्रकार की होती है -
  1. परिवर्तनशील -(Volatile) इसे प्राथमिक मेमोरी (Primary Memory) के नाम से भी जाना जाता है, इसे मुख्य मेमोरी भी कहते हैं, यह सीधे सीपीयू के सम्‍पर्क में रहती है तथा इसके डेटा और निर्देश का CPU द्वारा तीव्र तथा प्रत्यक्ष उपयोग होता है, इसे परिवर्तनशील - (Volatile) मेमोरी इसलिये कहा जाता है क्‍योंकि यह मेमोरी डेटा को परमानेंटली स्‍टोर नहीं कर सकती है उदाहरण - रैम

  2. अपरिवर्तनशील - (Non-volatile) - इसे सेकेंडरी मेमोरी (Secondary Memory) के नाम से जाना जाता है इसका प्रयोग को ज्‍यादा मात्रा में डेटा को स्थायी रूप से स्‍टोर करने के किया जाता है इसलिये द्वितीय सेकेंडरी मेमोरी (Secondary Memory) को स्टोरेज बताया गया है ना कि मेमोरी उदाहरण - हार्डडिस्‍क
स्‍पेस के आधार पर कंप्यूटर मेमोरी (Computer Memory) चार प्रकार की होती है -
  1. रजिस्टर मेमोरी (Register Memory)
  2. कैश मेमोरी (Cache Memory)
  3. प्राथमिक मेमोरी (Primary Memory)
  4. सेकेंडरी मेमोरी (Secondary Memory)

    पेज 15.

कंप्‍यूटर मेमोरी की इकाई या यूनिट - Computer Memory Units in Hindi
जिस प्रकार समय मापने के लिये सैकेण्‍ड, आवाज को नापने के लिये डेसीबल, दूरी को नापने के लिये मि0मि और वजन को नापने के लिये ग्राम जैसे मात्रक हैं, इसी प्रकार कम्‍प्‍यूटर की दुनिया में स्‍टोरेज क्षमता का नापने के लिये भी मात्रकों का निर्धारण किया गया है, इसे कंप्‍यूटर मेमोरी की इकाई या यूनिट कहते हैं -
कंप्यूटर मेमोरी (Computer Memory) की सबसे छोटी इकाई होती है बिट (bit) एक बिट बाइनरी संकेत अर्थात 0 और 1 में से केवल एक युग्म मूल्य (binary value) होता है और जब चार बिट को मिला दिया जाता है तो उसे निब्‍बल (Nibble) कहते हैं यानी 1 निब्‍बल = 4 बिट बाइट (Byte) 8‍ बिट के एक समूह को बाइट कहते हैं।

सामान्‍यत एक जब आप एक अंक या अक्षर अपने कम्‍प्‍यूटर में टाइप करते हैं तो उसको एक बाइट से व्‍यक्‍त किया जाता है या सीधे शब्‍दों में कहें तो वह एक बाइट के बराबर जगह घेरता है। यानी 1 बाइट = 8 बिट = 2 निब्‍बल इस प्रकार लगभग 11099511627776 बाटइ के समूह को टैराबाइट कहा जाता है और एक टैराबाईट में लगभग 20 लाख MP3 को स्‍टोर किया जा सकता है।
  • 1 बिट (bit) = 0, 1
  • 4 बिट (bit) = 1 निब्‍बल
  • 8‍ बिट = 1 बाइट्स (Byte)
  • 1000 बाइट्स (Byte) = एक किलोबाइट (KB)
  • 1024 किलोबाइट (KB) = एक मेगाबाइट (MB)
  • 1024 मेगाबाइट (MB) = एक गीगाबाइट (GB)
  • 1024 गीगाबाइट (GB) = एक टेराबाइट (TB)
  • 1024 टेराबाइट (TB) = एक पेंटाइट (PB)
  • 1024 पेडाबाइट (PB) = एक एक्साबाइट (EB)
  • 1024 एक्साबाइट (EB) = एक ज़ेटबाइट (ZB)
  • 1024 ज़ेटाबाइट (ZB) = एक ज़ेटबाइट (YB)

    पेज 16.

कम्प्यूटर के अनुप्रयोग - Application of computer in Hindi

कंप्यूटर एक बहुत पावरफुल मशीन है आज हर क्षेञ में कंप्यूटर का अनुप्रयोग किया जा रहा है, एग्‍जाम में भी कम्प्यूटर के अनुप्रयोग (Application of computer) के बारे में प्रश्‍न पूछे जाते हैं तो आईये जानते हैं कम्प्यूटर के अनुप्रयोग - Application of computer



कम्प्यूटर के अनुप्रयोग - Application of computer in Hindi
  • डाटा प्रोसेसिंग (Data processing) - बडें और विशाल पैमाने पर डाटा प्रोसेसिंग (Data processing) करने के लिये और सूचना तैयार करने के लिये कंप्‍यूटर का प्रयोग किया जाता है इससे डाटा इकठ्ठा करना उसका विश्‍लेशण करना और सूचना प्राप्‍त करना बहुत आसान हो जाता है
  • शिक्षा (Education) - कंप्‍यूटर में आधुनिक शिक्षा की तस्‍वीर ही बदल दी है, आज इन्टरनेट के मध्यम से हम किसी भी विषय की जानकारी कुछ ही क्षणों में प्राप्त कर सकते हैं, स्‍कूल और कॉलेजों को भी इंंटरनेट से जोड दिया गया है तथा कई जगहों पर स्‍मार्ट क्‍लास पर जोर दिया जा रहा है जो कंप्‍यूटर की वजह से ही संभव है
  • बैंक (Bank)- बैंकिंग क्षेत्र में तो कम्प्यूटर के उपयोग ने क्रांति ही ला दी है, पुराने जमाने के बही खाते और रजिस्‍टर की जगह कंप्‍यूटर ने ले ली है बैंकों के अधिकांश कार्य कंप्‍यूटर के माध्‍यम से ही हो रहे हैं जैसे पैसे निकालना और जमा करना, यहां तक कि रूपया गिनने के ि‍लिये भी कंंम्‍यूटरीक्रत मशीने उपलब्‍ध हैं
  • संचार (Communication)- 4जी इंटरनेट को आज बच्‍चा-बच्‍चा प्रयोग कर रहा है कंप्‍यूटर तकनीक ने ही संचार के क्षेत्र में इन्टरनेट के प्रयोग को अम्भव बनाया है और इन्टरनेट ने संचार क्रांति को जन्म दिया
  • मनोरंजन (Recreation)- मल्टीमिडिया के प्रयोग ने तो कम्प्यूटर को बहुयामी बना दिया है, कम्प्यूटर का प्रायः सिनेमा, टेलीविजन, वीडियो गेम खेलने के लिये भी किया जाता है
  • प्रशासन (Governance) - हर एक संस्थान में अपना एक आंतरिक प्रशासन होता है और प्रशासनिक कार्य कम्प्यूटर से ही किये जाते हैं, साथ ही साथ सरकारी योजनओं का लाभ भी ई-शासन (E-governance) के रूप में आज जनों के घराेें तक पहुॅच रहा है
  • सुरक्षा (Security)- आज बिना कम्प्यूटर के हमारी सुरक्षा व्यवस्था बिलकुल कमजोर हो जाएगी | एयरक्राफ्ट ट्रैक करने में, हवाई हमल, सीसीटीवी कैमरे में कम्प्यूटर का उपयोग होता है
  • वाणिज्य (Commerce) - दुकान, बैंक, बीमा, क्रेडिट कंपनी, आदि में कम्प्यूटर का अधिकतम उपयोग होता है | कम्प्यूटर के बिना काम करना वितीय दुनिया के लिए असंभव हो गया है
  • उद्योग (Industry)- बहुत सारे औधोगिक संस्थान; जैसे – स्टील, कैमिकल, तेल कंपनी आदि कम्प्यूटर पर निर्भर हैं | संयंत्र प्रक्रियाओं के वास्तविक नियंत्रण के लिए भी कम्प्यूटर का उपयोग करते हैं
  • चिकित्सा (Medicine) - चिकित्सा के क्षेत्र में कम्प्यूटर का अनुप्रयोग विभिन्न शारीरिक रोगों का पता लगाने के लिए किया जाता है, रोगों का विश्लेषण और निदान भी कम्प्यूटर के द्वारा संभव है, आधुनिक युग में एक्स रे, सिटी स्कैन, अल्ट्रासाउंड इत्यादि विभिन्न क्षेत्र में कम्प्यूटर का व्‍यापक उपयोग हो रहा है

    पेज 17.

कार्य पद्धति आधार पर कंप्‍यूटर का वर्गीकरण (Computer classification based on work method)

कार्य पद्धति आधार पर कंप्‍यूटर का वर्गीकरण तीन प्रकार से किया गया है इसमें 1- एनालॉग कंप्यूटर (Analog Computer), 2- डिज़िटल कम्प्यूटर (Digital Computer), 3- हाइब्रिड कम्प्यूटर (Hybrid Computer) इन तीनों की अपनी अपनी विशेषतायें हैं तो आइये जानते हैं क्‍या होता है डिजिटल, एनालॉग और हाइब्रिड कंप्यूटर, कार्य पद्धति आधार पर कंप्‍यूटर का वर्गीकरण (Computer classification based on work method)

कार्य पद्धति आधार पर कंप्‍यूटर का वर्गीकरण (Computer classification based on work method)एनालॉग कंप्यूटर क्या है (What is analog computer)

इस श्रेणी में वे कंप्यूटर आते है जिनका प्रयोग भौतिक इकाइयों दाब, तापमान, लंबाई, गति आदि को मापने में किया जाता है, चलिये थोडा और समझते हैं, बात करते हैं मौसम विज्ञान की आपको हवा का दबाब, वातावरण मेें नमी या बारिश कितनी हुई या आज का सबसे कम या सबसे ज्‍यादा तापमान कितना था इन सब के आंकडें इकठ्ठा करने के लिये एनालॉग कंप्यूटर (Analog Computer) बनाये गये हैं वर्षामापी (रेन गेज) - इससे किसी विशेष स्थान पर हुई वर्षा की मात्रा नापी जाती हैं, 2 आर्द्रतामापी (हाइग्रोमीटर) - इससे वायुमण्डल में व्याप्त आर्द्रता नापी जाती है, एनिमोमीटर - इससे वायु की शक्ति तथा गति को नापा जाता है, यानि यह सब एनालॉग कंप्यूटर (Analog Computer) भौतिक आंकडों को इकठ्ठा करते हैं


डिजिटल कंप्यूटर क्या है (What is Digital Computer)
डिज़िटल कम्प्यूटर (Digital Computer) वह कंप्‍यूटर होते हैं जिन्‍हें आप आमतौर पर प्रयोग करते हैं अपने घरों में, कार्यालयों में, जिसमें डिजिटल तरीके से डाटा को फीड किया जाता है और आउटपुट प्राप्‍त किया जाता है अधिकतक डिजिटल कंप्‍यूटर ही प्रयोग में आते हैं और बाजारों में आमतौर पर उपलब्‍ध रहते हैं डिजिटल कंप्यूटर डाटा और प्रोग्राम को 0 और 1 में परिवर्तित करके उसको इलेक्ट्रॉनिक रूप में ले जाते है।
हाइब्रिड कम्प्यूटर क्या है (What is Hybrid Computer)

हाइब्रिड कम्प्यूटर (Hybrid Computer) में एनालॉग कंप्यूटर (Analog Computer) और डिज़िटल कम्प्यूटर (Digital Computer) दोनों के ही गुण होते है। ये कंप्‍यूटर एनालाॅॅॅग और डिजिटल से अधिक भरोसेमंद माने जाते हैं इनका काम होता है एनालॉग कंप्यूटर (Analog Computer) से प्राप्‍त आंकडों को डिज़िटल रूप में उपलब्‍ध कराना, चिकित्‍सा, मौसम विज्ञान में इनका सबसे ज्‍यादा प्रयोग होता है


    पेज 18.

आकार के आधार पर कंप्यूटर के प्रकार (Types of Computer based on Size)

कंप्‍यूटर का अविष्‍कार जब से हुआ है उसके आकार और कार्य क्षमता में बदलाव होते हैं रहें हैं, कंप्‍यूटर को आकार के आधार पर चार श्रेणीयों में बांटा गया है सुपर कंप्‍यूटर, मेनफ्रेम कंप्‍यूटर, मिनी कंप्‍यूटर एव माइक्रो कंप्‍यूटर तो आईये जानते हैं आकार के आधार पर कंप्‍यूटर का वर्गीकरण (classification of computer based on Size)

आकार के आधार पर कंप्यूटर के प्रकार (Types of Computer based on Size) Computer Ke Prakar

1. माइक्रो कंप्यूटर (Micro Computer)
माइक्रो कंप्यूटर (Micro Computer) वह कंप्‍यूटर होते हैं जिन्‍हें आराम से डेस्‍क पर रखा जा सकता है, छोटे कंप्‍यूटरों का विकास 1970 में माइक्रो प्रोसेसर के अविष्कार के साथ हुआ, माइक्रो प्रोसेसर आने से सस्ते और आकार में छोटे कंप्‍यूटर बनाना संंभव हुआ, इन कंप्यूटर्स को पर्सनल कंप्यूटर (Personal Computer ) भी कहते है, माइक्रो कंप्यूटर (Micro Computer) में डेस्कटॉप कम्प्यूटर, लैपटॉप, पामटॉप, टैबलेट पीसी और वर्कस्टेशन आते हैं !

    पेज 19.

2. मिनी कम्प्यूटर (Mini Computer)
मिनी कम्प्यूटर (Mini Computer) अाकार और क्ष्‍ामता में माइक्रो कंप्यूटर (Micro Computer) से बडे होते हैं, सबसे पहला मिनी कंप्यूटर 1965 में तैयार किया था, इसका आकार किसी रेफ्रिजरेटर के बराबर था, जहां एक ओर पर्सनल कंप्‍यूटर यानि माइक्रो कंप्यूटर (Micro Computer) में एक C.P.U. होता है वहीं मिनी कंप्यूटर्स में एक से अधिक C.P.U. होते है और मिनी कम्प्यूटर (Mini Computer) पर एक साथ एक से अधिक व्यक्ति कार्य कर सकते है, इनका उपयोग प्रायः छोटी या मध्यम आकार की कम्पनियाँ करती हैं !

3. मेनफ्रेम कम्प्यूटर (Mainframe Computer)
मेनफ्रेम कम्प्यूटर (Mainframe Computer) आकार में बहुत बडें होते हैं, बडी कंपनियों में केन्द्रीय कम्प्यूटर के रूप में मेनफ्रेम कम्प्यूटर (Mainframe Computer) का प्रयोग होता है, एक नेटवर्क में कई कंप्यूटरो के साथ आपस में जोड़ा जा सकता है इसमें सेकड़ो यूज़र्स एक साथ कार्य कर सकते है, मेनफ्रेम कम्प्यूटर (Mainframe Computer) में नोड डॉट जेएस (Node.js) एक सॉफ्टवेयर प्लेटफॉर्म का प्रयोग किया जाता है !

4. सुपर कंप्यूटर (Super Computer)
सुपर कंप्यूटर (Super Computer) अन्य सभी श्रेणियों माइक्रो कंप्यूटर (Micro Computer), मिनी कम्प्यूटर (Mini Computer) और मेनफ्रेम कम्प्यूटर (Mainframe Computer) की तुलना में अत्‍यधिक बड़े, अधिक संग्रह क्षमता वाले और सबसे अधिक गति वाले होते हैं, इनका आकार एक सामान्य कमरे के बराबर होता है, सुपर कंप्यूटर्स का प्रयोग बड़े वैज्ञानिक और शोध प्रयोगशालाओ में शोध कार्यो में होता है, 1998 में भारत में सी-डेक द्वारा एक सुपर कंप्यूटर और बनाया गया जिसका नाम था "परम-10000", इसकी गणना क्ष्‍ामता 1 खरब गणना प्रति सेकण्ड थी अाज भारत का विश्व में सुपर कंप्यूटर के क्षेञ में नाम है !

    पेज 20.

computer advantages and disadvantages in hindi - कम्प्यूटर के लाभ और हानि

कंप्‍यूटर (Computer) एक छोटी सी लेेकिन पावरफुल मशीन, कई लोगों के लिये यह किसी जादू से कम नहीं, जो कई सारे काम एक साथ बिना थके कर सकती है, इसके कई लाभ (Labh) हैं लेकिन इससे होने वालेे नुकसान (nuksan) को भी अनदेेखा नहीं किया जा सकता है - computer advantages and disadvantages in hindi - कम्प्यूटर के लाभ और हानि

Benefits and Importance of Computer in Hindi - कम्प्यूटर के लाभ और महत्‍व

  1. आज हर जगह कंप्‍यूटर का उपयोग बडें पैमाने पर किया जा रहा है, इससे का सबसे बडा कारण यह है कि मनुष्‍य के मुकाबले बहुत तेजी सेे काम करता है, यह बहुत बडी गणना को कुछ सेकेण्‍ड में कर सकता हैै
  2. आज हर चीज कंप्‍यूटर पर उपलब्‍ध है, आप बहुत सारा डाटा कंप्‍यूूटर में स्‍टोर कर सकते हैं और उसे कभी भी उपयोग में ला सकते हैं और अगर आपके पास इंटरनेट की सुविधा भी है तो आप क्‍लाउड स्‍टोरेज का उपयोग कर इंटरनेट पर भी अपने डाटा काे सुरक्षित रख सकते हैं।
  3. आप कभी-भी और कहीं भी अपने दोस्‍तों के सम्‍पर्क में वीडियो कॉल, ईमेल, सोशल नेटवर्किंग जैसे सुविधाओं केे माध्‍यम सेे जुडें रह सकते हैं।
  4. आप इंटरनेट पर कोई भी जानकारी प्राप्‍त कर सकते हैं।
  5. बैंकिग जैसी सुविधाओं में कंंप्‍यूटर तकनीक का जबाब नहीं है, आप घर बैठे-बैठे अपने मोबाइल फोन से या कंंप्‍यूटर से किसी को भी रूपये ट्रांसफर कर सकते हैं।
  6. आज मोबाइल रीचार्ज, बिजली का बिल से जमा करने से लेकर ऑनलाइन शॉपिग यहॉ तक कि हवाई जहाज तक कंप्‍यूटर द्वारा उडाये जा रहेे हैं वह भी बिना कोई गलती किये।
  7. शिक्षा और चिकित्‍सा के क्षेत्र में कंप्यूटर ने दुुनियाॅॅ को बदल दिया है आप घर बैठे-बैठे ही बेस्‍ट टीचर्स/संस्‍थाओं से शिक्षा प्राप्‍त कर सकते हैं और चिकित्‍सा की बात करें तो दुनियॉ के बेहतरीन डाक्‍टर्स से इंटरनेट पर परामर्श ले सकते हैं और अब तो मैडीकल स्‍टोर जाने की भी जरूरत नहीं है आप घर बैठे ही दवाईयॉ भी आर्डर कर सकते हैं, चाहे वह आपके श्‍ाहर में मिलती हों या नहीं।

  8. पेज 21.
Disadvantages of Computer in Hindi - कंप्यूटर के नुकसान
  1. जहॉ एक और कंंप्‍यूूटर लोगों को स्‍मार्ट बना रहा है वहीं दूसरी और इसका जरूरत से ज्‍यादा प्रयोग बीमार भी बना रहा है
  2. कंप्‍यूटर और मोबाइल का अधिक प्रयोग स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो रहा है
  3. मोबाइल और कंंप्‍यूटर स्‍क्रीन पर ज्‍यादा लगातार देखते रहने से सबसे ज्यादा नुकसान आंखों को होता है
  4. लोगों का मिलना जुलना बंद हो गया है, ज्‍यादा लोग किसी के घर जाकर मिलने से बेहतर उनसे सोशन नेटवर्किंग साइट जैसे फेसबुक और व्‍हाट्सएप चैट करना ज्‍यादा पंंसद करते हैं, यहॉ तक कि एक घर में रह रहे 4 व्‍यक्ति भी अपने-अपने मोबाइल फोन से ही चिपके रहते हैं।
  5. बडी-बडी कंंपनियों और फैट्रियों में कई-कई मजदूरों का काम कंप्‍यूटर और रोबोट करने लगे हैं, जिससे बेरोजगारी भी बढी है
  6. इंटरनेट बैंकिग का उपयोग सावधानी से न करने पर आपके पर्सनल डाटा चोरी रखने का खतरा रहता है, जिससे कई यूजर्स को आर्थिक नुकसान उठाना पडता है
  7. इसी प्रकार सोशन नेटवर्किंंग साइट पर भी सावधानी से काम न करने पर भी होता है
  8. इंटरनेट के माध्‍यम से ठगी बहुत बडे पैमाने पर बढ गयी है
Conclusion - निष्कर्ष
अगर हम सही तरीके से इस तकनीक का प्रयोग करें, तो हमारे भविष्‍य को बहुत बदल सकती हैै, लेकिन इसका गलत प्रयोग हमारे वर्तमान को भी खराब कर सकता है, आप तो जानते ही हैं कि हम कम्प्यूटर कंट्रोल में नहीं यह हमारे कंट्रोल में है, इसका सही और सुरक्षित प्रयोग कीजिये

  1. पेज 22.

1. कंप्‍यूटर के कंपोनेंट्स ( Computer Components Notes )

2. सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट क्या है - What Is Central Processing unit in hindi

कंप्‍यूटर के कंपोनेंट्स ( Computer Components Notes )

सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट क्या है - What Is Central Processing unit in hindi..?

सीपीयू यानि सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (Central Processing Unit) इनपुट डाटा को प्रोसेस करता है इसके लिये सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट और अर्थमेटिक लॉजिक यूनिट दोनों मिलकर अंकगणितीय गणना (Arithmetic Calculation) और तार्किक गणना करते हैैं और डाटा को प्रोसेस करते हैं CPU को कंप्यूटर का मस्तिष्क कहा जाता है आईये जानते हैं सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (Central Processing Unit) क्‍या है

कंप्‍यूटर की संरचना (Computer Architecture) में सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (Central Processing Unit) केेन्‍द्र में रहता है इनपुट यूनिट (Input unit) द्वारा डाटा और निर्देशों को कंप्‍यूटर में एंटर किया जाता है और इसके बाद सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (Central Processing Unit) डाटा को प्रोसेस करता है और आपको आउटपुट देता है, डाटा को प्रोसेेस करनेे में यह अपने दो भागोंं की मदद लेता है अर्थमेटीक लॉजिक यूनिट (Arithmetic Logic Unit ) और कंट्रोल यूनिट (Control Unit

प्रोसेसिंग से पहले प्राइमरी मेमोरी (Primary memory में जो डाटा होता है और जो निर्देश होते हैं वह अर्थमेटिक लॉजिक यूनिट में ट्रांसफर हो जाते हैं और वहां पर उनकी प्रोसेसिंग का कार्य होता है Arithmetic logic unit (ALU) से जो परिणाम मिलते हैं उनको प्राइमरी मेमोरी में ट्रांसफर कर दिया जाता है और प्रोसेसिंग समाप्त होने के बाद में प्राइमरी मेमोरी (Primary memory) में जो डाटा बचता है या अंतिम परिणाम बचते हैं वह एक आउटपुट डिवाइस (Output device) के माध्यम से आप तक पहुंचा दिए जाते हैं

इनपुट डिवाइस से डाटा कब लेना है स्टोर यूनिट में डाटा कब डालना है वैल्यू से डाटा को कब लेना है और जब वह डाटा प्रोसेस हो जाए उसको आउटपुट डिवाइस तक कब भेजना है यह सारे काम करता है कंट्रोल यूनिट
अर्थमेटीक लॉजिक यूनिट (Arithmetic Logic Unit )
अर्थमेटीक लॉजिक यूनिट (Arithmetic Logic Unit ) अंकगणितीय गणना (Arithmetic Calculation) और तार्किक गणना (Logical calculation) का काम करता है, जैसे जोड़, घटाव, गुणा, भाग और <, >, =, हाँ या ना
कंट्रोल यूनिट (Control Unit)
कंट्रोल यूनिट (Control Unit) कंप्‍यूटर में हो रहे सारे कार्यो नियंत्रित करता है और इनपुट, आउटपुट डिवाइसेज, और अर्थमेटीक लॉजिक यूनिट (Arithmetic Logic Unit ) के सारे गतिविधियों के बीच तालमेल बैठाता है। 


  1. पेज 23.

प्रोसेसर में कोर क्‍या है - What Is Core In Processor
कोर (Core) सीपीयू यानि प्रोसेसर के अंदर लगी एक गणना (computation) करने वाली यूनिट या चिप होती है, एक कोर वाले को Single Core Processor कहते हैं प्रोसेसर की शक्ति गीगाहर्टज (GHz) पर निर्भर करती है, यानि जो प्रोससेर जितने ज्‍यादा गीगाहर्टज (GHz) का होगा उतनी ही तेजी से गणना करेगा। अब फिर सेे बात करते हैंं कोर की डुअल-कोर, क्वाड-कोर, ऑक्टा-कोर क्‍या हैं ?

Single Core Processor ज्‍यादा बोझ पडते ही हैंग होने लगता था, इसलिये इसकी क्षमता बढाने के लिये प्रोसेसर में अतिरिक्‍त कोर (Core) लगाये जाते हैं, इनकी संख्‍या के आधार पर ही प्रोसेसर के नाम पडें आईये जानते हैं -
  1. दो कोर मतलब - Dual Core Processor
  2. चार कोर मतलब - Quad Core Processor
  3. छह कोर मतलब - Hexa Core Processor
  4. आठ कोर मतलब - Octo Core Processor
  5. दस कोर मतलब - Deca Core Processor

  1. पेज 24.

अर्थमेटिक लॉजिक यूनिट (ए. एल.यु.) क्‍या है - What is Arithmetic logic unit (ALU) 

जैसा कि आप जानते हैं प्रोसेसर (Processor) को कंप्यूटर का दिमाग कहा जाता है जैसे हमारा दिमाग सोचने समझने का काम करता है उसी प्रकार से प्रोसेसर भी सोचने और समझने का काम करता है लेकिन उसके लिए उसे जरूरत होती है (ए. एल.यु.) की यानी अर्थमेटिक लॉजिक यूनिट (Arithmetic Logic Unit) की तो आइए जानते हैं क्या है यह अर्थमेटिक लॉजिक यूनिट (ALU) और यह किस प्रकार काम करती है - What is Arithmetic logic unit 

अर्थमेटिक लॉजिक यूनिट (Arithmetic logic unit) सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट के मुख्य तीन घटकों में से एक है जिसमें मेमोरी यूनिट (Memory unit) और कंट्रोल यूनिट (Control unit) भी शामिल है ALU कंप्यूटर हार्डवेयर में एक डिजिटल सर्किट होता है, अर्थमेटिक लॉजिक यूनिट का मुख्य कार्य होता है अंकगणितीय तर्क इकाई अर्थमेटिक लॉजिक यूनिट का मुख्य कार्य होता है अंकगणितीय कार्य करना जैसे जोड़ना घटाना गुणा करना भाग करना और गणित की तरह और भी जितने कार्य होते हैं वह करना इसके अलावा तर्क संबंधित कार्य जितने भी होते हैं जैसे तुलना करना चयन करना मिलान करना डाटा को आपस में मर्ज करना इस प्रकार की कार्य अर्थमेटिक लॉजिक यूनिट (ALU) करती है एएलयू को मुख्य रूप से बेसिक अर्थमेटिक ऑपरेशन के लिए ही डिजाइन किया गया है !

  1. हार्ड डिस्क की भौतिक संरचना
  2. हार्ड डिस्क ड्राइव (Hard Disk Drive) कंप्यूटर की सेकेंडरी मेमोरी (Secondary Memory) होती है इसका प्रयोग बड़े पैमाने पर डाटा को स्टोर करने के लिए किया जाता है और तेज गति से दोबारा से प्राप्त किया जा सकता है आईये जानते हैं हार्ड डिस्क की भौतिक संरचना - Physical Structure Of Hard Disk

असल में हार्ड डिस्क कई सारी प्‍लैटरों को मिलाकर एक एयरटाइट केस में एक के ऊपर एक लगाकर यानी डिस्‍क का ढेर बनाकर एक हार्ड डिस्क का निर्माण किया जाता है प्रत्येक प्‍लैटर एक पतली गोलाकार धातु प्लेट का बना होता है जिसके दोनों ओर मैग्नेटिक लेयर होती है यानी मैग्नेटिक पदार्थ की कोटिंग होती है आजकल जितने भी प्लैटर होते हैं वह 3.5 इंच डायमीटर के होते हैं ! मान लीजिए एक कंप्यूटर जिसमें 80 GB या उससे अधिक क्षमता की हार्ड डिस्क का प्रयोग होता है उसमें 7 या अधिक डिस्क एक केंद्रीय शाफ्ट पर लगी होती हैं जो लगभग 2400 से 7200 आरपीएम यानी चक्कर प्रति मिनट की स्पीड से घूमती हैं यह प्‍लैटर एक दूसरे से 1.5 इंच की दूरी पर लगे होते हैं प्रत्येक प्‍लैटर के ऊपर और नीचे रीड और राइट हेड दिया गया होता है जो एक मूबेबल आर्म के साथ जुड़ा होता है दो प्‍लेटर के बीच लगे आर्म दो रीड और राइट हैड लेकर चलते हैं, अत एक 6 प्‍लेटर वाली हार्डडिस्‍क को 12 हेड वाली डिस्‍क भी कहा जा सकता है ! हार्ड डिस्क में जितनी भी डिस्क होती हैं वह समान गति पर घूमती हैं व समान दिशा में घूमती हैं आपको जानकर आश्चर्य होगा कि हार्ड डिस्क की सबसे ऊपरी सतह और सबसे निचली सतह पर डाटा स्टोर नहीं होता है बाकी जितनी में डिस्क होती हैं उन सभी सतह पर डाटा स्टोर किया जा सकता है प्रत्येक डिस्क में कई सारे अदृश्य व्रत होते हैं जिन्हें ट्रैक कहा जाता है इन ट्रैकों को एक नंबर दिया जाता है सबसे बाहरी ट्रक का जो नंबर होता है वह जीरो होता है अब हर डिस्क पर यह ट्रैक दिए गए होते हैं और एक ही नंबर वाले सभी ट्रैक एक सिलेंडर का निर्माण करते हैं इस प्रकार एक हार्डडिस्‍क में जिसमें 10 प्‍लैटर होते हैं और 18 रिकार्डिग सतहेंं होती हैं क्योंकि हार्ड डिस्क की सबसे ऊपरी सतह और सबसे निचली सतह पर डाटा स्टोर नहीं होता है इसलिये वह 18 ही होती हैं और इस तरह सिलेंडर में 18 ट्रैक होते हैं !

लेटेंसी टाइम (Latency time) और सीक टाइम (seek time) 

अब समझ लेते हैं लेटेंसी टाइम और सीक टाइम क्या होता है एक डिस्‍क में निश्चित ट्रैक पर पहुंचने में लगने वाले समय को लेटेंसी टाइम (Latency time) कहा जाता है और रिकॉर्ड को पढ़ने में अलने वाले समय को सीक टाइम (seek time) कहा जाता है लेटेंसी टाइम (Latency time) और सीक टाइम (seek time) दोनों मिलाकर कुल समय एक हार्डडिस्‍क का एक्सेस टाइम (Access time) को बोला जाता है

अब जान लेते हैं हार्ड डिस्क में डाटा को कैसे व्यवस्थित रखा जाता है डाटा को व्यवस्थित रखने के लिए डॉस मेमोरी डिस्क को दो भागों में बांटती है पहला सिस्टम एरिया और दूसरा डाटा एरिया

  1. पेज 25.
  • हार्डवेयर ( Hardware)

कंप्यूटर की हार्डवेयर संरचना

1- सिस्टम एरिया (System Area)
सिस्टम एरिया हार्ड डिस्क का कुल 2% होता है जो डिस्क की मूल संरचना को संगठित करने के लिए प्रयोग किया जाता है सिस्टम एरिया तीन भागों में बटा होता है -
  1. बूट रिकोर्ड्स(Boot Records)
  2. फैट(FAT)
  3. रूट डायरेक्टरी (Root Directory)
बूट रिकोर्ड्स (Boot Records)
बूट रिकोर्ड्स (Boot Records) को पार्टीशन सेक्टर भी कहा जाता है एक सेक्टर का आकार 512 बाइट का होता है जिसके पहले सेक्टर का उपयोग किया जाता है इन बूट्स एक्टर्स में निम्नलिखित जानकारी होती है जैसे डिस्क का प्राइमरी पार्टीशन टेबल कहां रखना है कंप्यूटर स्टार्ट करने की प्रक्रिया के लिए आवश्यक कोड और निर्देश की जानकारी आदि रहती है

2- फैट(FAT)फैट(FAT) की फुल फॉर्म है फाइल एलोकेशन टेबल जिसे संक्षेप में फैट कहा जाता है फैट(FAT) टेबल बहुत महत्वपूर्ण होती है क्योंकि इसमें डाटा का पूरा रिकॉर्ड रहता है कि वह कहां पर स्टोर किया जाना है

3- रूट डायरेक्टरी (Root Directory)

कंप्यूटर के फाइल सिस्टम के डायरेक्टरी संखला की पहली डायरेक्टरी रूट डायरेक्टरी (Root Directory) होती है इसे मूल डायरेक्टरी के नाम से भी जानते हैं इसी में सभी अन्य फाइल है डायरेक्टरी और सब डायरेक्टरी का हिसाब-किताब रहता है !

2- डाटा एरिया (Data Area)
2% हिस्सा सिस्टम एरिया कवर करता है तो 98% प्रतिशत हिस्सा डाटा एरिया (Data Area) कवर करता है हमारे द्वारा बनाई गई सभी प्रकार की फाइलें और डाटा इसी डाटा एरिया में तो रहता है यह पूरा डिटेल या छोटे-छोटे क्लस्टर में विभाजित रहता है

  1. पेज 26.

  1. सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट क्या है
  2. सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट क्या है - What Is Central Processing unit in hindi
    सीपीयू यानि सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (Central Processing Unit) इनपुट डाटा को प्रोसेस करता है इसके लिये सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट और अर्थमेटिक लॉजिक यूनिट दोनों मिलकर अंकगणितीय गणना (Arithmetic Calculation) और तार्किक गणना करते हैैं और डाटा को प्रोसेस करते हैं CPU को कंप्यूटर का मस्तिष्क कहा जाता है आईये जानते हैं सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (Central Processing Unit) क्‍या है !


कंप्‍यूटर की संरचना (Computer Architecture) में सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (Central Processing Unit) केेन्‍द्र में रहता है इनपुट यूनिट (Input unit) द्वारा डाटा और निर्देशों को कंप्‍यूटर में एंटर किया जाता है और इसके बाद सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (Central Processing Unit) डाटा को प्रोसेस करता है और आपको आउटपुट देता है, डाटा को प्रोसेेस करनेे में यह अपने दो भागोंं की मदद लेता है अर्थमेटीक लॉजिक यूनिट (Arithmetic Logic Unit ) और कंट्रोल यूनिट (Control Unit) 

प्रोसेसिंग से पहले प्राइमरी मेमोरी (Primary memory में जो डाटा होता है और जो निर्देश होते हैं वह अर्थमेटिक लॉजिक यूनिट में ट्रांसफर हो जाते हैं और वहां पर उनकी प्रोसेसिंग का कार्य होता है Arithmetic logic unit (ALU) से जो परिणाम मिलते हैं उनको प्राइमरी मेमोरी में ट्रांसफर कर दिया जाता है और प्रोसेसिंग समाप्त होने के बाद में प्राइमरी मेमोरी (Primary memory) में जो डाटा बचता है या अंतिम परिणाम बचते हैं वह एक आउटपुट डिवाइस (Output device) के माध्यम से आप तक पहुंचा दिए जाते हैं

इनपुट डिवाइस से डाटा कब लेना है स्टोर यूनिट में डाटा कब डालना है वैल्यू से डाटा को कब लेना है और जब वह डाटा प्रोसेस हो जाए उसको आउटपुट डिवाइस तक कब भेजना है यह सारे काम करता है कंट्रोल यूनिट !


  1. कंप्यूटर में बूटिंग क्या होती है
  2.  कंप्यूटर में बूटिंग क्या होती है What is Booting Process in Computer 
  3. आपने अक्‍सर कंप्‍यूटर (computer) में विंडोज इंस्टॉल (Windows Install) कराते समय बूटिंग (Booting) या बूटेबल (Bootable) शब्‍द सुना होगा, लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि क्‍या होती है ये बूूटिंग अगर नहीं तो चलिये जानते हैं कि What is Booting Process in Computer - कंप्यूटर में बूटिंग क्या होती है
  4. जब आप कंप्‍यूटर (computer) का पावर बटन (Power button) या स्‍टार्ट बटन (Start button) प्रेस करते हैं, तो विंंडोज स्‍टार्ट होने से पहले कंंप्‍यूटर में कई सारी प्रक्रियायें होती है, जिसमें बूटिंग भी एक जरूरी प्रक्रिया है

जब आप कंप्‍यूटर स्‍टार्ट करते हैं तो सीपीयू (CPU) और बायोस (BIOS) मिलकर कंप्‍यूटर को स्‍कैन करते हैं, जिसमें कंप्‍यूटर यह पता करता है कि मदरबोर्ड से कौन-कौन से उपकरण जुडें है और ठीक प्रकार से काम कर रहे हैं या नहीं, इसमें रैम, डिस्‍पले, हार्डडिस्‍क आदि की जॉच होती है, यह प्रक्रिया पोस्‍ट (Post) कहलाती है।

जब कंप्‍यूटर पोस्‍ट (Post) की प्रकिया कंम्‍पलीट कर लेता है तो बायोस (BIOS) बूूटिंग डिवाइस को सर्च करता हैै, वह हर बूट डिवाइस में बूटिंग फाइल को सर्च करता है, सबसे पहले First Boot Device, फिर Second Boot Device इसके बाद Third Boot Device और अगर इसमें भी बूटिंग फाइल न मिले तो Boot Other Device, बायोस (BIOS) को जिसमें भी पहले बूटिंग फाइल (Booting File) मिल जाती है। वह उसी से कंप्‍यूटर को बूट करा देता है और कंप्यूटर में ऑपरेटिंग सिस्टम (Operating System) की लोडिंग शुरू हो जाती है।
  • पेनड्राइव को विण्‍डोज 7 और 8 के लिये Bootable बनायें
जो लोग सीडी या डीवीडी से विंडोज इंस्‍टॉल करते हैं वह First Boot Device के तौर पर CDROM को सलेक्‍ट करते हैं, लेकिन हर किसी सीडी से बायोस (BIOS) कंप्‍यूटर को बूट नहीं करा सकता है इसके लिये सीडी या डीवीडी का बूटेबल (Bootable CD or DVD) होना जरूरी है, बूटेबल (Bootable) होने का मतलब है कि उसमें बूटिंग फाइल (Booting File) होना चाहिये जिससे बायोस (BIOS) उसे पढ सके।

अगर आपके कंप्‍यूटर में कोई भी (Bootable Media) नहीं है तो आपको Insert Boot Media Disk का Error दिखाई देगा, Error आपको तब भी दिखाई देे सकता है जब आपको कंप्‍यूटर हार्डडिस्‍क से बूट न ले रहा हो।

Type of Booting - बूटिंग के प्रकार

कंप्यूटर में बूटिंग दो प्रकार की होती है कोल्ड बूटिंग (Cold booting) और वार्म बूटिंग (Warm Booting) -

What is Cold booting कोल्ड बूटिंग क्‍या होती है -

जब आप सीपीयू के कंप्‍यूटर (computer) का पावर बटन (Power button) या स्‍टार्ट बटन (Start button) को प्रेस कर कंप्‍यूटर को स्‍टार्ट करते हैं तो इसे कोल्ड बूटिंग (Cold booting) कहा जाता है।

What is Warm Booting वार्म बूटिंग क्‍या होती है -

कंप्‍यूटर के हैंग होने की स्थिति में की-बोर्ड के द्वारा Alt+Ctrl+Del दबाकर या फिर रिस्टार्ट बटन का उपयोग कंप्‍यूटर को दोबारा बूट कराने की प्रकिया वार्म बूटिंग कहलाती (Warm Booting) या रीबूट (reboot) भी कहते हैं





पेज 27.

What is Printer in Hindi] प्रिटंर क्‍या है ?

प्रिंटर एक आउटपुट डिवाइस होती है, इसका प्रयोग कंप्‍यूटर के डेटा की हार्डकॉपी बनाने के लिये किया जाता है। की-बोर्ड, माउस के बाद प्रिंटर ही एक ऐसा डिवाइस है, जिसका इस्‍तेमाल सबसे अधिक किया जाता है। ऑफिस, घ्‍ारों और व्‍यावसायिक प्रतिष्‍ठानों पर प्रिंटर का प्रयोग चिञ, ऑफिस डाक्‍यूमेंट प्रिंट करने के लिये किया जाता है। साधारण तौर पर प्रिंटर कंप्‍यूटर के साथ एक डाटा केबल से जुडा रहता है अौर किसी भी एप्‍लीकेशन से Ctrl+P कमांड देने पर वह आपको प्रिंट दे देता है। लेकिन अाजतक प्रिंटर के साथ नई तकनीकों का प्रयोग किया जाता है। जिसमें वायरलैस प्रिंटिग मुख्‍य है। इसमें प्रिंटर को वाई-फाई और क्‍लाउड से जोडा जाता है। जिससे दूर बैठे ही आप प्रिंटर को कमाण्‍ड दे सकते हैं। क्‍लाउड तकनीक से आप मोबाइल से भी प्रिंटर को कमाण्‍ड दे सकते हैं अौर प्रिंट निकाल सकते हैं।
प्रिंटरों के प्रकार -
  • डॉट मैट्रिक्स - इस प्रिंटर का प्रयोग आजकल बहुत कम हाेता है। लेकिन अभ्‍ाी कुछ दुकानों और खासतौर पर बैंक में यह प्रिंटर प्रयोग में लाया जा रहा है।
  • लेजर प्रिंटर- यह प्रिंटर प्रोफेशनल रूप से सबसे ज्‍यादा प्रयोग किया जाने वाला प्रिंटर है। इसमें ब्‍लैक एण्‍ड व्‍हाईट और रंगीन दोनों प्रकार के प्रिंटर आते हैं।
  • इंकजेट/डेस्कजेट - यह प्रिंटर सस्ता होने के कारण घरों में ज्‍यादातर प्रयोग किया जाता है। इसमें गीले रंगों का प्रयोग किया जाता है।
  • थर्मल प्रिंटर - मॉल्स, रेस्‍टोरेंट आदि में बिलिंग के लिये इस प्रिंटर का प्रयोग किया जाता है। इसमें इंक की आवश्यकता नहीं पड़ती।
  • प्लॉटर्स प्रिंटर- बड़े साइज फ्लेक्स प्रिंट करने के लिये इस प्रिंटर का प्रयोग होता है।
  • फोटो प्रिंटर्स- कलर लैब में फोटो प्रिंट करने के लिये इन प्रिंटर का प्रयोग किया जाता है।

पेज 28.

सॉफ्टवेयर के प्रकार - Types of Computer Software

सॉफ्टवेयर Computer का वह Part होता है जिसको हम केवल देख सकते हैं और उस पर कार्य कर सकते हैं, Software का निर्माण Computer पर कार्य करने को Simple बनाने के लिये किया जाता है, आजकल काम के हिसाब से Software का निर्माण किया जाता है, जैसा काम वैसा Software कंप्यूटर सॉफ्टवेयर तीन प्रकार के होते हैं तो आईये जानते हैं सॉफ्टवेयर के प्रकार - Types of Software or Computer

कंप्यूटर सॉफ्टवेयर तीन प्रकार के होते हैं।
  • सिस्‍टम सॉफ्टवेयर (system software)
  • एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर (Application software)
  • यूटिलिटी सॉफ्टवेयर (Utility software)

  • सिस्‍टम सॉफ्टवेयर (system software)
    सिस्टम सॉफ्टवेयर (System Software) ऐसे सॉफ्टवेयर होते हैं जो आपके कंप्‍यूटर के हार्डवेयर को Manage और Control करते हैं और इन्‍हीं की वजह से एप्लीकेशन सॉफ्टवेयर (Application Software) कंप्‍यूटर में चल पाते हैं या आप उस पर काम कर पाते हैं सिस्टम सॉफ्टवेयर (System Software) का सबसे सरल उदाहरण के आपका ऑपरेटिंग सिस्‍टम यानी आपकी विंडोज जो भी आप इस्‍तेमाल कर रहे होगें, संक्षेप में सिस्टम सॉफ्टवेयर प्रोग्रामों का एक समूह है, सिस्टम सॉफ्टवेयर (System Software) के और भी कई उदाहरण हैं -
    1. 1. ऑपरेटिंग सिस्‍टम (Operating System)
    2. 2. असेम्‍बलर (Assambler)
    3. 3. कम्‍पाइलर (Compiler)
    4. 4. इंटरप्रेटर (Interpreter)

  • एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर (Application software)
    एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर (Application software) ऐसे प्रोग्रामों को कहा जाता है, जो हमारे कंप्यूटर पर आधारित मुख्य कामों को करने के लिए लिखे जाते हैं । आवश्यकतानुसार भिन्न-भिन्न उपयोगों के लिए भिन्न-भिन्न सॉफ्टवेयर होते हैं Software को बडी बडी कंपनियों में यूजर की जरूरत को ध्‍यान में रखकर Software programmers द्वारा तैयार कराती हैं, इसमें से कुछ free में उपलब्‍ध होते है तथा कुछ के लिये चार्ज देना पडता है। जैसे आपको फोटो से सम्‍बन्धित कार्य करना हो तो उसके लिये फोटोशॉप या कोई वीडियो देखना हो तो उसके लिये मीडिया प्‍लेयर का यूज करते है। एप्लिकेशन सॉफ्टवेयर (Application software) के कई उदाहरण हैं -
    1. 1. फ़ोटोशॉप
    2. 2. पेजमेकर
    3. 3. पावर पाइंट
    4. 4.एम एस वर्ड
    5. 5. एस एस एक्‍सेल

    यूटीलिटी सॉफ्टवेयर (Utility Software)
    यूटिलिटी सॉफ्टवेयर (Utility software) का काम कंप्‍यूटर के ऑपरेटिंग सिस्‍टम (Operating System) की सर्विस/ रिपेयर करने का काम होता है साथ में यह ऑपरेटिंग सिस्‍टम (Operating System) केे माध्‍‍यम से यूटिलिटी सॉफ्टवेयर (Utility software) कुछ हार्डवेयर की सर्विस करने का काम भी करते हैं जिससे उनकी कार्यक्षमता और गति को बढाया जा सके, इसमें से बहुत कुछ यूटिलिटी सॉफ्टवेयर (Utility software) ऑपरेंटिंग सिस्‍टम के साथ आते है और कुछ को अलग से लेना पडता है
    1. 1. एंटीवायरस
    2. 2. डिस्क डिफ्रेगमेंटर


 
Home
About
Blog
Contact
FAQ